**उत्तराखंड:ये हैं देवभूमि के 11 प्राचीन शिव मंदिर,जहां पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना**

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**लाखामंडल शिव मंदिर**

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 128 किलोमीटर दूर एक अद्भुत शिव मंदिर है और लाखामंडल नामक स्थान पर होने के वजह से इसे ‘लाखामंडल शिव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता हैं…ऐसा मान्यता है कि महाभारत काल में दुर्योधन ने यहां पांडवों को जलाकर मारने की कोशिश की थी और अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठर ने इसी स्‍थान पर शिवलिंग की स्‍थापना की थी,जो मंदिर में आज भी मौजूद है…मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग को महामुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है और ऐसी मान्यता है कि मृत व्यक्ति को शिवलिंग के सामने रखने के बाद पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह जीवित हो जाता था,कुछ पल के लिए जिंदा हुआ व्यक्ति शिव का नाम लेकर गंगाजल को ग्रहण करता है और उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है।

**बागनाथ मंदिर**


यह उत्तर भारत का एकमात्र दक्षिण मुखी प्राचीन शिव मंदिर है….यह बागेश्वर ज़िले के बागेश्वर तीर्थस्थान में है,बागनाथ मंदिर गोमती और सरयू नदियों के संगम पर बना है…बागनाथ मंदिर पौराणिक काल से प्रसिद्ध है और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में भी बागनाथ मंदिर का उल्लेख भगवान शिव के एक महत्वपूर्ण और पवित्र मंदिर के रूप में किया गया है।

**जागेश्वर धाम**


यह अल्मोड़ा ज़िले में है और कहा जाता है कि यहां सबसे पहले शिव की पूजा लिंग के रूप में की गई थी,अल्मोड़ा ज़िले में स्थित यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है,यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है…शिव पुराण,लिंग पुराण और स्कंद पुराण आदि पौराणिक कथाओं में भी इस मंदिर का उल्लेख है…इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इसे गौर से देखने पर इसकी बनावट बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आती है।

**त्रियुगीनारायण मंदिर**

रुद्रप्रयाग में स्थित यह मंदिर शिव-पार्वती विवाह स्थल मंदिर है,यह मंदिर राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए पॉपलुर हो चुका है,बता दें कि यहां शिव और पार्वती का भी विवाह हुआ था… विष्णु को समर्पित ये मंदिर शिव-पार्वती के विवाह के लिए ज्यादा फेमस है,जहां पूरे साल देश-विदेश से कपल शादी करने के लिए आते हैं…कहा यह भी जाता है कि विवाह के समय से ही जलती रहने वाली ज्योति इस मंदिर का सबसे मुख्य आकर्षण है।

**तुंगनाथ मंदिर**


तुंगनाथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है…यह पंच केदार ट्रेक का एक अनिवार्य हिस्सा है और अपनी प्राचीन वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है…तुंगनाथ की यात्रा से नंदा देवी, चौखंबा और अन्य चोटियों के मनोरम दृश्य भी देखने को मिलते हैं।

**रुद्रनाथ मंदिर**


भगवान शिव का यह मंदिर गढ़वाल के चमोली जिले में है…यह मंदिर पंच केदार में शामिल है और मंदिर समुद्र तल से 2220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है…इस मंदिर के भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है,जबकि शिव के पूरे धड़ की पूजा पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल) में की जाती है।

**कल्पेश्वर मंदिर**


कल्पेश्वर मंदिर पंच केदार यात्रा का अंतिम मंदिर है और समुद्र तल से लगभग 2,200 मीटर (7217 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है…यह मंदिर अपनी छोटी चट्टानी गुफा के कारण अद्वितीय है…ऐसा माना जाता है कि यहाँ भगवान शिव के बालों (जटा) की पूजा की जाती है।

**मध्यमहेश्वर मंदिर**


मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,497 मीटर (11,473 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेकर्स को एक चुनौतीपूर्ण रास्ता तय करना पड़ता है जो आसपास की चोटियों और घाटियों के शानदार दृश्य पेश करता है…मंदिर में भगवान शिव की पेट के बल लेटी हुई एक अनोखी मूर्ति है… पांडवों ने इस मूल मंदिर का निर्माण भगवान शिव की प्रार्थना के लिए किया था,जिनके शरीर का मध्य भाग यहां प्रकट हुआ था।

**गोपीनाथ मंदिर**


गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर में है और यह उत्तराखंड में बेहद लोकप्रिय शिव मंदिरों में से एक है…गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड के पंच केदार मंदिरों की तरह ही पवित्र है,गोपीनाथ मंदिर का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण भगवान शिव का त्रिशूल है,जो 8 अलग-अलग धातुओं से बना है… त्रिशूल को इस तरह बनाया गया है कि आज इतने सालों के बाद भी इसमें जंग नहीं लगा है… मंदिर परिसर में त्रिशूल एक स्थान पर स्थिर होता है और कहा जाता है कि केवल भगवान शिव का सच्चा भक्त ही त्रिशूल को उसके स्थान से हिला सकता है।

**टिम्मरसैंण महादेव मंदिर**


जोशीमठ-नीती हाइवे पर नीती गांव से एक किमी पहले टिम्मरसैंण के पहाड़ पर स्थित गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजमान है और इस पर पहाड़ से टपकने वाले जल से हमेशा अभिषेक होता रहता है…इसी शिवलिंग के पास बर्फ पिघलने के दौरान प्रतिवर्ष बर्फ का एक शिवलिंग आकार लेता है…अमरनाथ गुफा में बनने वाले शिवलिंग की तरह इस शिवलिंग की ऊंचाई भी लगभग ढाई से तीन फीट के बीच होती है और स्थानीय लोग इसे बर्फानी बाबा के नाम से जानते हैं।

**काशी विश्‍वनाथ मंदिर,उत्तरकाशी**


उत्‍तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में भी काशी विश्‍वनाथ मंदिर हैं और मान्‍यता है कि भगवान विश्वनाथ अनादि काल से इस मंदिर में विराजमान हैं…कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने थी और यहां मौजूद शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है…विश्वनाथ मंदिर को लेकर मान्यता यह भी है कि इस मंदिर की स्थापना परशुराम द्वारा की गई थी…यहां मौजूद पाषाण शिवलिंग 56 सेंटिमीटर ऊंचा और दक्षिण की तरफ झुका हुआ है…गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा खासकर विश्वनाथ मंदिर की यात्रा के बिना अर्थहीन है और यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष हजारों तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं…माना जाता है कि गंगोत्री की तीर्थयात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक उत्तरकाशी के विश्वनाथ मंदिर,वाराणसी के काशी विश्‍वनाथ और रामेश्वरम धाम में पूजा अर्चना न की जाए।