किसी जमाने में कलंदर और मदारी का काम करने वाले जनपद उधमसिंहनगर स्थित गूलरभोज डैम के सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बसे ठंडानाला के 70% परिवार अब देश के अन्य राज्यों में लोगों को सम्मोहित कर बड़ी-बड़ी ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं…ऐसे ही दो अपराधी सैफुद्दीन पुत्र मोहमुद्दीन और शहजाद मोहम्मद पुत्र खुशी मोहम्मद निवासी ठंडानाला गूलरभोज को उनके घर से बीते रविवार को जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा के कुशल निर्देश पर हरियाणा और जिला पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है…
(पुलिस की हिरासत में ठग सैफुद्दीन और शहजाद मोहम्मद)
इसी क्रम में आज पुलिस ने ठंडानाला गूलरभोज निवासी इनामी शातिर ठग इब्राहिम पुत्र खुशी मोहम्मद को पीपल पड़ाव वन रेंज के जंगल से भेष बदलकर गिरफ्तार कर लिया है,इसके अलावा पुलिस ने ठंडानाला निवासी अनवर पुत्र लियाकत और मुजाहिर पुत्र गुलाम को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है…उधर पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए फिलहाल तराई के जंगलों में कमिंग कर रही है चूंकि ये शातिर लोग खानाबदोश होते हैं इसलिए कई महीनो तक जंगल में भी बड़े आराम से अपना जीवन यापन कर लेते हैं और अक्सर वारदात करने के बाद जंगल को ही अपना शरण स्थल बनाते हैं…
(पुलिस के गिरफ्त में शातिर ठग इब्राहिम)
देश के अन्य राज्यों में ठगी की बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देकर देवभूमि का नाम खराब करने वाले ठंडानाला के इन अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर अब कानूनी शिकंजा कसने के सख्त निर्देश भी जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पुलिस अधिकारियों को दिए हैं …मदारी समुदाय के ये अपराधी इतने शातिर होते हैं कि जब पुलिस उनके निवास स्थान पर प्रवेश देती है तो सभी युवा अपना घर छोड़कर जंगलों में छिप जाते हैं और पुलिस दबिश के दौरान पुलिस को गांव में केवल औरतें,बुजुर्ग और बच्चे ही मिलते हैं…
(भेष बदलकर जंगल में दाखिल होती पुलिस)
दरअसल बताया जाता है कि गूलरभोज डैम के निर्माण के दौरान मूल रूप से मेरठ के रहने वाले कलंदर और मदारी समुदाय के इन लोगों के परिजन श्रमिक के तौर पर काम करने गूलरभोज पहुंचे थे और डैम निर्माण के बाद डैम की ही भूमि पर अवैध रूप से ये लोग रहने लगे और अपने पुश्तैनी कारोबार के तहत गांव देहात में कलंदर और मदारी का काम कर अपना पेट पालने लगे…उधर सन 1972 में देश में वन्य जीव अधिनियम लागू होने के बाद बंदर और भालू नाचने पर जैसे ही प्रतिबंध लगा इन लोगों के समक्ष रोजगार का संकट गिरने लगा इसके बाद इन्होंने अपराध की दुनिया का रुख कर लिया और बताया यह भी जाता है कि इनमें से ज्यादातर लोग अब अपराध की दुनिया से जुड़े हुए हैं…
(अपराधियों को पकड़ने के लिए जंगल में कांबिंग करती पुलिस)
वन्य जीव अधिनियम के बाद वन विभाग की जैसे-जैसे सख्ती बढ़ी कलंदर समाज का खानादानी पेशा और पेट भरने का जरिया भी खत्म होता गया लिहाजा अपराध की तरफ रुझान रखने वाले ठंडानाला के ज्यादातर परिवार ठगी का काम करने लगे…ये कलंदर या मदारी घूमंतु जीवन जीने वाले समुदाय के लोग है,जो देशभर में भालू-बंदरों का खेल दिखाकर अपना जीवन बसर किया करते थे…गदरपुर थाने के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ठंडानाला में रहने वाले इन लोगों में से 70% लोग अब अपराध की दुनिया से जुड़े हुए हैं और यहां रहने वाले 45 लोगों के खिलाफ तो स्थानीय थाने में कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं…
दरअसल ये कलंदर समूह के लोग एक प्रकार के मुसलमान फकीर थे जो बंदर,भालू नचाते और लोगों को तमाशे दिखाते थे…ये लोग शाह मदार के अनुयायी होते हैं और इन्हें मदारी,कलंदर के साथ-साथ बाजीगर भी कहा जाता है…इस गिरोह के सदस्य महिलाओं,पुरुषों और बच्चों सम्मोहित अथवा ध्यान भ्रमित कर उनके पहने हुए आभूषण,कीमती सामान और नकदी लेकर मौके से फरार हो जाते हैं…देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले ठंडानाला के इन शातिर ठगों पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए SSP ने अब एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन कर दिया है,जो खास तौर पर इन शातिर ठगों को उनके असल मुकाम तक पहुंचाने का काम करेगी।