**रुद्रपुर:भाजपा ने प्रेम से लिया मंत्री प्रेमचंद का इस्तीफा,बदल गई जुबां की चाल अब मंत्री नहीं रहे अग्रवाल…कई दिनों से नहीं सोए,आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में फूट-फूट कर जनाब खूब रोए**

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जी हां,लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले विधानसभा में पार्वतीय राज्य की मूल भावना को आहत करते हुए पहाड़ी राज्य में रहने वाले पहाड़ियों पर अब मर्यादित टिप्पणी करने वाले प्रेमचंद अग्रवाल से आखिरकार भाजपा ने राज्य के साथ-साथ देश-विदेश में लगातार बढ़ रहे जन आक्रोश देखते हुए आज बड़े ही प्रेम से इस्तीफा ले लिया है…अपने विवादित बयानों और कारनामों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले प्रेमचंद अग्रवाल की जुबान की चाल ढाल आज एकदम बदल गई और एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर प्रेमचंद अग्रवाल ने आज फूट-फूट कर रोते हुए कहा कि वो मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा देने जा रहे हैं और कुछ ही देर बाद देहरादून पहुंचकर उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंप दिया…मंत्री पद से अपना इस्तीफा देने से पहले प्रेमचंद अग्रवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह साफ कहा कि उनके बयान को लेकर जिस प्रकार से पूरे प्रदेश में वातावरण बनाया गया उसे लेकर आज उन्हें यह साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए उन्होंने भी योगदान दिया है,उन्होंने राज्य आंदोलन में लाठियां भी खाईं है पर बावजूद इसके उन्हें टारगेट किया जा रहा है इसलिए वो बहुत आहत है और ऐसे में आज उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ रहा है…

दरअसल पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और पहाड़ियों की मूल भावना को आहत करते हुए जिस तरीके से उत्तराखंड की विधानसभा के अंदर प्रेमचंद अग्रवाल ने विवादित बयान दिया था उसको लेकर उत्तराखंड के साथ-साथ देश ही नहीं पूरे विश्व में भी प्रेमचंद अग्रवाल और भाजपा के खिलाफ भी उत्तराखंड के लोगों का आक्रोश लगातार बढ़ता ही जा रहा था…लिहाजा देर से ही सही पर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल करते हुए आखिरकार प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा ले ही लिया…उधर कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने यह साफ कहा है कि केवल प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा से काम नहीं चलेगा और इस पूरे मामले में अब विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी को भी माफी मांगनी पड़ेगी…

दरअसल राजनेता हो अथवा अभिनेता उन्हें यह बिल्कुल स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिए कि उनका जलवा तभी तक कायम रहता है जब तक देवतुल्य जनता का आशीर्वाद उनके ऊपर है और जनता के आशीर्वाद से एक बड़ा मुकाम हासिल कर बड़ी कुर्सी पर बैठने के बाद अगर नेता अथवा अभिनेता जनता को ही गाली देने लगे तो यह समझ लेना चाहिए कि उनका भविष्य अब खतरे में है…मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को तो उनकी कई हरकतों को नजर अंदाज करते हुए राज्य की भोली भाली जनता ने कई अवसर दिए पर प्रेमचंद अग्रवाल पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा…रामायण में तुलसीदास जी ने कहा है कि “जाको प्रभु दारुण दुःख देई। ताकि मति पहले हर लेई।।” और प्रेमचंद अग्रवाल के साथ भी बिल्कुल ऐसाह ही हुआ एक के बाद एक लगातार उनके विवादित कारनामों के कारण आखिरकार आज उन्हें अपने कैबिनेट मंत्री के पद से भी हाथ धोना ही पड़ा…

यह सबक है उन नेताओं और अभिनेताओं के लिए जो एक मुकाम हासिल करने के लिए पहले तो जनता के पैर छूते हैं,उनकी चाटुकारता करते हैं और बाद में एक मुकाम हासिल करने के बाद जनता पर अत्याचार करते हैं उन लोगों पर अत्याचार करते हैं जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाया…जनता को गाली देते हैं,सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर उनका शोषण करते हैं,उन पर कानूनी शिकंजा कसते और यह सब करते हुए वो ये भूल जाते हैं कि उन्हें आगे बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ किसका है…जनाब लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन हती है,जिनका वोट हासिल कर आप लगातार आगे बढ़ते हैं पर जनता को इस बात से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप धीरे-धीरे ऊंचाइयों की सीढ़ी पर चढ़ते हुए उन्हें भूल जाते हैं पर जनता को ये फर्क तो जरूर पड़ता है कि आप कम से कम अपनी जहरीली जुबान और अपने तंत्र से उनका उत्पीड़न ना करें…नहीं तो इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने सत्ता का इस्तेमाल कर खुद को आगे बढ़ाने वाले लोगों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार किया उनका हश्र भी देर सवेर बुरा ही होता है।