रुद्रपुर डिग्री कॉलेज के बाहर बीते 24 सितंबर को पुलिस को चुनौती देते हुए छात्र संघ चुनाव प्रचार के दौरान वर्चस्व को लेकर कई राउंड गोलियां चलाकर मारपीट कर मौके पर अराजकता और दहशत फैला कर गुंडई करने वाले 15 नामजद आरोपियों में से फरार चल रहे 11 आरोपियों में से दो आरोपियों को छोड़कर 8 आरोपियों ने जमानत करवाने में सफलता हासिल कर ली है,जबकि एक आरोपी को गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया है…दरअसल गोलीकांड की इस वारदात के बाद 20-25 दिनों तक भी पुलिस इस पूरे मामले में फरार चल रहे 11 आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी…हालांकि इस पूरे मामले में पुलिस ने वांछित चल रहे शातिर गैंगस्टर और अपराधी गगन रतनपुरिया को बीते दिनों एक मुठभेड़ में गोली मारकर जरूर पुलिसिया सबक सीखने का दावा किया था…और तो और शुरुआती जांच के बाद इस वारदात से जुड़े कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भी भेज दिया था…उधर कोर्ट ने इस पूरे मामले में फरार चल रहे गोली चलाने वाले अपराधी जस्सी कचूरा और मनप्रीत उर्फ गोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है…

हम आपको बता दें कि इस पूरे मामले में पुलिस ने फरार चल रहे सभी 11 आरोपियों के खिलाफ पूर्व में कोर्ट से गैर जमाती वारंट लेने के साथ ही फरार आरोपियों के संपत्ति की कुर्की से पूर्व कोर्ट से मिलने वाला उद्घोषणा वारंट प्राप्त कर ढोल बजवाकर गोली चलाने वाले अपराधी जस्सी कचूरा और मनप्रीत उर्फ गोपी के घर पर वारंट भी चस्पा कर दिया था…दरअसल गोलीकांड की इस वारदात में खुद पुलिस द्वारा जांच के बाद आरोपी बनाए गए 15 नामजद आरोपियों में से 9 आरोपियों पर पुलिस काफी मेहरबान दिखाई दी क्योंकि जहां एक तरफ वारदात के बाद से फरार चल रहे 11 आरोपियों में से दो आरोपियों के घर पुलिस ने ढोल बजवाकर कुर्की करने से पूर्व कोर्ट द्वारा जारी उद्घोषणा वारंट को चस्पा कर दिया था,वहीं दूसरी तरफ फरार चल रहे अन्य 9 आरोपियों के घरों पर पुलिस द्वारा उद्घोषणा वारंट तक चस्पा नहीं किया गया,जबकि गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद न्यायालय से पुलिस को सभी 11 फरार आरोपियों के उद्घोषणा वारंट एक साथ प्राप्त हुए थे…उधर सूत्रों की माने तो इस पूरे मामले में एक खादी वाले की सिफारिश के बाद फरार 9 आरोपियों को गिरफ्तारी से राहत देते हुए कोर्ट कचहरी जाने का पूरा अवसर प्रदान किया गया…
(गोली कांड के एक फरार आरोपी के घर कुर्की से पूर्व उद्घोषणा वारंट चस्पा करते हुए इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर होशियार सिंह)
बताते हैं कि खादी की सिफारिश के बाद गिरफ्तारी तो दूर पुलिस ने कई आरोपियों के यहां दबिश तक नहीं डाली और फरार आरोपी खुलेआम सार्वजनिक स्थानों पर फोटो खिंचवाते भी नजर आए… दरअसल रुद्रपुर डिग्री कॉलेज के बाहर बीते 24 सितंबर को पुलिस को चुनौती देते हुए छात्र संघ चुनाव प्रचार के दौरान वर्चस्व को लेकर कई राउंड गोलियां चलाकर मौके पर मारपीट कर अराजकता और दहशत फैला कर गुंडई करने वाले 15 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या के प्रयास और बलवा सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था…मामले की जांच के दौरान इन्वेस्टिगेशन अफसर ने चार अन्य आरोपियों को भी नामजद कर गिरफ्तार किया था…हालांकि पांच थानों की पुलिस फोर्स वारदात के 20-25 दिनों बाद भी फरार चल रहे 11 अन्य नामजद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई और मामले की जांच कर रहे इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर होशियार सिंह से फरार आरोपी ज्यादा होशियार निकले …जांच अधिकारी के अनुसार 11 फरार आरोपियों में से 8 फरार आरोपियों को कोर्ट से बेल मिल गई,जबकि एक आरोपी को गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया…उधर कोर्ट ने गोलीकांड की वारदात को अंजाम देने वाले जस्सी कचूरा और मनप्रीत उर्फ गोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया…
(रुद्रपुर डिग्री कॉलेज में बीते 24 सितंबर को हुई गोलीकांड की वारदात का वीडियो)
हम आपको बता दें की जमानत से पहले गोलीकांड की वारदात में नामजद आकाश यादव,आशीष यादव,रवि रावत,हेमंत मिश्रा,प्रिंस शर्मा,विक्रम,अमृत चीमा,चेतन मागढ़,अभय सक्सैना,मनप्रीत उर्फ गोपी और जस्सी कचूरा पुलिस की गिरफ्त से दूर थे…जबकि पुलिस ने इस पूरे मामले में दानिश,रखवीर सिंह,गुरुपेज सिंह, विपिन ठाकुर,देवेंद्र,गगन रतनपुरिया,रुद्रपुर नगर निगम के नगर निगम पार्षद जॉनी भाटिया और सतपाल सिंह लाहोरिया को गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज दिया गया था…उस दौरान गोली कांड की वारदात से जुड़े आरोपियों के खिलाफ पुलिस द्वारा गैंगस्टर के तहत कार्रवाई करने के बात भी कही गई थी पर वर्तमान परिस्थितियों को देखकर लगता है कि ये तो सिर्फ बातें हैं और बातों का क्या ?…कुल मिलाकर कहा जाए तो बड़ा सवाल यह भी उठता है कि डिग्री कॉलेज गोलीकांड की इस वारदात को शुरुआती दौर में काफी सख्ती और गंभीरता से लेने वाली एकाएक पुलिस खादी की सिफारिश के बाद बैक फुट पर क्यों आ गई ?

सवाल यह भी उठना है कि अगर खादी द्वारा संरक्षण प्राप्त अराजक तत्वों को पुलिस गिरफ्तार करने से भी परहेज करेगी तो क्या अपराधियों के जहन में कानून का खौफ कायम हो पाएगा और क्या ऐसे में पुलिस के “ऑपरेशन लंगड़ा” की साख और पुलिसिया धाक जिले में कायम रह पाएगी ? फिलहाल इस पूरे मामले का लुब्बे-लुबाब देखने के बाद स्थानीय लोगों को जिले में तैनात रहे पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते और रुद्रपुर कोतवाली में कई वर्षों पूर्व प्रभारी निरीक्षक के तौर पर तैनात रहे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट महेंद्र सिंह नेगी के दौर की सख्त पुलिसिंग की याद तो आ जाती है क्योंकि उस दौरान अपराधी पुलिस के नाम से कांपते नजर आते थे…दरअसल कहते हैं ना कि “जो सो रहा है उसे आप जगा सकते हैं पर जो सोने का नाटक कर रहा है उसे आप चाह कर भी नहीं उठा सकते”…यह भी जग जाहिर है कि अगर पुलिस चाहे तो अपराधी को पाताल से भी खोज कर बाहर निकाल सकती है पर अगर ना चाहे तो,इस पर के केवल खाकी,खादी और इत्यादि कहना ही काफी है।

