राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री,वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं किच्छा के कांग्रेसी विधायक तिलक राज बेहड़ की नाक का सवाल बनी जिला पंचायत की कुरैया सीट पर आखिरकार कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता सिंह ने जीत हासिल कर ली है और उसके साथ ही इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने जीत की हैट्रिक भी बना ली है…इस हॉट सीट पर जहां एक तरफ नैनीताल के सांसद अजय भट्ट भाजपा समर्थित प्रत्याशी कमल चौधरी के चुनाव प्रचार में मैदान में थे,वहीं दूसरी तरफ रुद्रपुर नगर निगम के नवनिर्वाचित मेयर और स्थानीय भाजपा विधायक शिव अरोड़ा भी चौमासा कि गर्मी में चुनावी मैदान में पसीना बहाते हुए डटे हुए थे…
जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता सिंह के प्रचार की पूरी कमान केवल तिलक राज बेहड़ के हाथों में थी और तो और इस सीट पर जिला कांग्रेस संगठन के कुछ कांग्रेसी आदतन भीतरघात का काम करते हुए कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को हराने के लिए भाजपाइयों से मिले हुए थे और इस बात की पुष्टि खुद पूर्व मंत्री बेहड़ ने भी की पर बावजूद इसके बेहड़ के कुशल राजनीतिक रणनीति से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार की बहु एवं बेटी सुनीता सिंह ने बीजेपी के सारे समीकरणों को फेल करते हुए चुनावी मैदान में जीत हासिल कर ही ली…इस सीट पर जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने निष्ठावान OBC कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हुए कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले उपेंद्रर चौधरी की पत्नी कोमल चौधरी को अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित किया है…
वहीं दूसरी तरफ बेहड़ ने कांग्रेस पार्टी में अपने दबदबे का एहसास कराते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार की आश्रित,जिला बार एसोसिएशन के सचिव एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सर्वेश सिंह की पत्नी सुनीता सिंह को इस सीट से कांग्रेस का समर्थित प्रत्याशी घोषित करवाया था…हालांकि इस चुनाव में सुनीता सिंह केवल 350 वोटों से विजयी रही,इस सीट पर जहां एक तरफ सुनीता सिंह को 9031 वोट मिले वहीं दूसरी तरफ भाजपा समर्थित प्रत्याशी कमल चौधरी को 8681 वोट मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी फरहा को 4276 वोट मिले जबकि कांग्रेस पार्टी इस गलतफहमी में थी की निर्दलीय प्रत्याशी फरहा को ना के बराबर वोट मिलेंगे…राजनीति के जानकारों की माने तो निर्दलीय प्रत्याशी फरहा को जीतने वोट मिले वो कांग्रेस का ही वोट बैंक था जो चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी के खड़े होने से बट गया,नहीं तो कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी सुनीता सिंह की जीत हजारों वोटों से होती…
हालांकि भाजपा समर्थित प्रत्याशी कमल चौधरी के पति उपेंद्रर चौधरी एक जमाने में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को उनके पुत्र संजीव आर्य के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ते थे और हर बार यशपाल आर्य चुनाव जीतते भी थे पर वहीं उपेंद्रर चौधरी छोटी सी जिला पंचायत सीट पर अपनी धर्मपत्नी को चुनाव नहीं जीता सके और 350 वोटो से मिली हार का मलाल अब उन्हें आजीवन रहेगा…उधर राजनीति के जानकारों की माने तो इस सीट पर बेहद सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार में जुटे कांग्रेसी विधायक बेहड़ के खिलाफ उनके बेटे की उम्र के नवनिर्वाचित मेयर विकास शर्मा द्वारा अति उत्साह में की गई टीका टिप्पणी से प्रतापपुर,दोपहरिया और कुरैया सीट पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को इसका काफी चुनावी लाभ मिला…
इस पूरे मामले को बेहड़ ने भी बिना आक्रामक रुख अपनाए कुशल राजनीतिक रणनीति के तहत एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया और अंततः इसका लाभ भी कांग्रेस पार्टी को मिला जिस कारण हॉट सीट कुरैया पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी ने आखिरकार जीत हासिल कर ही ली…लिहाजा यह कहा जा सकता है कि इस पंचायत चुनाव में भी कांग्रेसी विधायक बेहड़ का जलवा कुरैया सीट पर कायम रहा।