ऊधमसिंहनगर:ऋषिकेश,बद्रीनाथ और पांडवखोली की आध्यात्मिक यात्रा के बाद रुद्रपुर पहुंचे सुपरस्टार रजनीकांत

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अपनी आध्यात्मिक वार्षिक हिमालय यात्रा के तहत देहरादून के ऋषिकेश,चमोली जिले के बद्रीनाथ और अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट स्थित पांडवखोली में मौजूद महावतार बाबा की गुफा के दर्शन के बाद दक्षिण भारतीय फिल्मों के महानायक एवं सुपरस्टार रजनीकांत आज रुद्रपुर पहुंचे…रुद्रपुर के पांच सितारा होटल रेडिसन ब्लू में आज रजनीकांत रात्रि विश्राम करेंगे और कल पंतनगर एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे…हालांकि पांच सितारा होटल में रजनीकांत के आने की सूचना अभी उनके फैन फॉलोअर्स को नहीं है जिस कारण होटल प्रबंधन को भी किसी प्रकार की दिक्कतों का कोई सामना नहीं करना पड़ रहा है पर बावजूद उसके पुलिस-प्रशासन द्वारा होटल में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं…

दरअसल रजनीकांत बीते 5 अक्टूबर से उत्तराखंड की आध्यात्मिक यात्रा पर हैं और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रजनीकांत प्रत्येक वर्ष 15 दिनों के लिए किसी हिमालयी राज्य का आध्यात्मिक भ्रमण करते हैं और इसी के तहत इस बार वो उत्तराखंड राज्य के भ्रमण पर हैं…बीते 5 अक्टूबर को सबसे पहले रजनीकांत को ऋषिकेश पहुंचे जहां उन्होंने स्वामी दयानंद आश्रम ऋषिकेश में आध्यात्मिक एकांतवास किया,गंगा आरती में हिस्सा लिया,गंगा का ध्यान किया और सादगी से सड़क किनारे पत्तल पर भोजन भी किया…इसके बाद रजनीकांत बद्रीनाथ पहुंचे और बैकुंठ धाम के दर्शन किए उधर बद्रीनाथ दर्शन करने के बाद रजनीकांत अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट स्थित पांडवखोली की पहाड़ी चोटी पर मौजूद महावतार बाबा की गुफा में पहुंचे जहां उन्होंने गहन ध्यान साधना भी की…हम आपको बता दें कि सुपरस्टार रजनीकांत वर्ष 2002 में भी पांडवखोली की इस गुफा में साधना की थी,इसके बाद से वे समय-समय पर यहां आते रहते हैं…

ऐसा कहा जाता है कि रजनीकांत की पांडवखोली की पहली यात्रा के बाद रिलीज हुई फिल्म ‘काला’ को जबरदस्त सफलता मिली थी,जिसके बाद उनकी श्रद्धा इस स्थान के प्रति और बढ़ गई और यही कारण है कि वर्ष 2019 में भी उन्होंने अपनी फिल्म दरबार की सफलता के लिए महावतार बाबा की गुफा में ध्यान साधना की थी…सरल स्वभाव के धनी रजनीकांत ज्यादा ताम-झाम के साथ नहीं चलते हैं और अक्सर जमीन पर बैठकर ही भोजन ग्रहण करते हैं,ईश्वर के प्रति गहरी आस्था रखने वाले रजनीकांत का उत्तराखंड के प्रति भी काफी लगाव और आस्था है है जिस कारण अक्सर वो देवभूमि उत्तराखंड के भ्रमण पर आते रहते हैं।