जी हां,पंचायत चुनाव में कुछ सफेदपोश प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीतने के लिए अथवा चुनावी मैदान में अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार की संख्या कम करने के लिए पहले तो साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति अपना रहे हैं और जब वो इसमें भी सफल नहीं हो पा रहे हैं तो बदमाशों का सहारा ले रहे हैं और जब इससे भी बात नहीं बन रही है तो अब वो अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के प्रस्तावक को लाखों रुपए का लालच देकर अथवा डरा धमका कर अपने पक्ष में करने का काम कर रहे हैं…
जिसके तहत प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के प्रस्तावक को लालच अथवा डरा धमका कर अपने पक्ष में करने के बाद एक शपथ पत्र ले रहे हैं,जिसमें लिखा रहता है कि जिस उम्मीदवार ने अपने प्रस्तावक के तौर पर उनको अपने नामांकन में दर्शाया है उस नामांकन पत्र में प्रस्तावक के तौर पर लिया गया उनका हस्ताक्षर गलत है अथवा हस्ताक्षर कपट या फिर बलपूर्वक करवाया गया है…बस इसी आधार पर प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के नामांकन को खारिज करने के लिए आपत्ति लगा रहे हैं,जबकि किसी भी प्रत्याशी का प्रस्तावक खुद RO कक्ष में लगे सीसीटीवी की मौजूदगी में ही नामांकन पत्र पर अपने हस्ताक्षर करता हैं…
हालांकि अभी तक जिले में ऐसे किसी मामले को लेकर किसी प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने की कोई जानकारी नहीं मिली है पर बावजूद इसके गुणा गणित में माहिर कुछ अपराधी प्रवृत्ति के सफेदपोश प्रत्याशी आपराधिक सुंयोजित षड्यंत्र के तहत ऐसे कार्य को अंजाम देने में जुट गए हैं…हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग के त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में निर्वाचन अधिकारियों (रिटर्निंग ऑफिसर्स) एवं सहायक निर्वाचन अधिकारियों (असिस्टेन्ट रिटर्निंग ऑफिसर्स) के उपयोग हेतु दी गई निर्देश-पुस्तिका के पेज नंबर 201 में यह साफ लिखा है कि निर्वाचन अधिकारी किसी नाम-निर्देशन पत्र को किसी तकनीकी दोष के अथवा ऐसी अन्य भूल के कारण जो सरवान् न हो,अस्वीकृत न करेगा और किसी ऐसे दोष या भूल को दूर करने के लिए नाम-निर्देशन पत्र में किसी प्रविष्टि को ठीक करने की अनुज्ञा दे सकता है…
उधर ऐसे ही एक मिलते जुलते मामले को लेकर आज एक बीडीसी प्रत्याशी ने रुद्रपुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख पति विपिन जल्होत्रा पर अपने प्रस्तावकों को जबरन उठाकर ले जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की हैं और साथ ही साथ एक सीसीटीवी फुटेज भी पत्रकारों को दिया है…जबकि निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों का यह कहना है कि ऐसे किसी भी मामले की अभी तक उनके पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई है और अगर शिकायत मिलती है तो पूरे मामले पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी…
बहरहाल कुल मिलाकर अगर ऐसे गंभीर मामलों की शिकायत RO के समक्ष आती है तो निश्चित तौर पर ऐसे मामलों में निर्वाचन विभाग के अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में एक गलत निर्णय के कारण अथवा एक गलत आदेश के कारण मतदाता चाह कर भी साफ सुथरी छवि के जनप्रतिनिधि का चुनाव नहीं कर पाता है और अपराधी प्रवृत्ति का सफेदपोश निर्विरोध चुनाव जीत जाता हैं।