चमोली:नंदा देवी राजजात यात्रा के पांचवें पड़ाव कोटी गांव में मिला चौसिंग्या खाडू, ग्रामीणों में खुशी की लहर…कर सकता है विश्व प्रसिद्ध नंदा देवी राजजात यात्रा की अगुवाई

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जी हाँ,नंदा राजजात के पांचवें पड़ाव जिला चमोली स्थित ग्राम कोटी में चौसिंग्या खाडू यानि चार सींग वाल खाडू का जन्म हुआ है…हम आपको बता दें कि “हिमालय महाकुंभ” के नाम से प्रसिद्ध और हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाली उत्तराखंड की धार्मिक एवं पौराणिक नंदा राजजात यात्रा से जुड़ी परंपरा के अनुसार चार सींग वाला खाडू ही यात्रा की अगुवाई करता है और चौसिंग्या खाडू का जन्म यात्रा से एक साल पहले हो जाता है…राज्य में वर्ष 2026 में आयोजित होने वाली इस विश्व प्रसिद्ध यात्रा से पहले ही नंदा राजजात यात्रा के पांचवें पड़ाव ग्राम कोटी में चौसिंग्या खाडू मिल गया है,जिसको लेकर आसपास के क्षेत्र के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों में भी खुशी की लहर है… उत्तराखंड की नंदा राजजात यात्रा प्राचीन सांस्कृतिक,धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर है…इसे सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे ऊंची और लंबी पैदल धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है,यह यात्रा उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक भी है…


(ग्राम कोटी निवासी हरीश लाल के यहां मिला चौसिंग्या खाडू)

मान्यताओं के अनुसार मां नंदा हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी पार्वती का रूप है,स्कंद पुराण और अन्य कई ग्रंथों में नंदा देवी का उल्लेख हिमालय की रक्षक और शक्ति की देवी के रूप में किया गया है…नंदा राजजात यात्रा की कहानी के बारे में यह भी कहा जाता है कि मां नंदा अपने ससुराल (हिमालय) जाने के लिए इस यात्रा को करती हैं और स्थानीय लोग उन्हें विदाई देने के लिए इस यात्रा में शामिल होते हैं…रोचक बात यह है कि इस यात्रा की अगुवाई चौसिंग्या खाडू (भेड़) ही करता है,जो हर 12 साल में पैदा होता है…हम आपको बता दें कि स्थानीय भाषा में चार सींगों वाले भेड़ को ही चौसिंग्या खाड़ू कहा जाता है…धार्मिक मान्यता यह भी है कि यह भेड़ मां नंदा देवी का “देवरथ” होता है,यानी देवी की यात्रा की अगुवाई करने वाला पवित्र प्राणी…परंपरा के अनुसार इसका जन्म नंदा देवी के मायके में होता है और इसके चुनाव की एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया होती है…

इस यात्रा को एशिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा भी माना जाता है,पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार इस यात्रा की शुरुआत से पहले कांसुवा के राजवंशी यात्रा के सफल आयोजन का संकल्प लेते हैं…जिसके बाद मां नंदा देवी को ससुराल की ओर विदा किया जाता है,जिसमें भक्त उन्हें आभूषण,वस्त्र और मिष्ठान भेंट करते हैं…चौसिंग्या खाड़ू को मां का रथ मानकर उसकी पीठ पर श्रृंगार सामग्री की पोटली (फंची) बांधी जाती है…इसके बाद चौसिंग्या खाडू कैलाश तक पैदल यात्रा करता है,यह पवित्र धार्मिक यात्रा चमोली जिले के नौटी गांव से शुरू होकर रूपकुंड और होमकुंड तक पहुंचती है,जिसमें कुल 18-20 पड़ाव होते हैं…यात्रा में यात्री लगभग 275 किलोमीटर की दूरी तय करते है और 17,500 मीटर की ऊँचाई तक पहुंचते हैं…इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और यात्रा की सबसे खास बात यह होती है कि आखिरी पड़ाव के बाद चौसिंग्या खाड़ू अकेले ही हिमालय की ओर बढ़ता है,जिसे देवी की विदाई का प्रतीक माना जाता है…

अगले वर्ष राज्य में आयोजित होने वाली इस धार्मिक यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में वर्ष 2026 में होने वाली नंदा राजजात यात्रा को उत्सव के रूप में मनाया जाएगा साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राजजात यात्रा उत्तराखंड की संस्कृत विरासत का जीवंत रूप है,यह यात्रा यहां के लोगो की आस्था और परंपराओं का अनुपम संगम है…सरकार इस यात्रा को भव्य और सुरक्षित रूप में संपन्न करने के लिए संकल्पबद्ध है…बता दें कि बीते 14 जुलाई को दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य में वर्ष 2026 में प्रस्तावित नंदा राजजात यात्रा के आयोजन की जानकारी देते हुए इसके लिए पर्यावरण अनुकूल अवस्थापना सुविधाओं के लिए 400 करोड़ की मांग की और प्रधानमंत्री को इस पर्वतीय महाकुंभ में आमंत्रित भी किया…चमोली जिले के जिस कोटी गांव में चौसिंग्या खाडू मिला है वो कोटी गांव धार्मिक नंदा राजजात यात्रा का एक महत्वपूर्ण पांचवा पड़ाव है…


(राजराजेश्वरी मां नंदा देवी राजजात यात्रा का पांचवा पड़ाव कोटी गांव)

कोटी गांव में राजराजेश्वरी मां नंदा देवी का ऐतिहासिक शक्तिपीठ प्राचीन मंदिर है,यह गांव कितना बड़ा है इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि यहां इंटर कॉलेज भी स्थित है…कोटी गांव के निवासी हरीश लाल के यहां चौसिंग्या खाडू मिला है,जिसका जन्म लगभग 5 माह पूर्व हुआ था और अब ऐसे में लोग इसे नंदा देवी राजजात यात्रा से जोड़कर देख रहे हैं…हरीश लाल और उनके बेटे गौरव का कहना है कि वो 20 वर्षों से बकरी और भेड़ पालन का काम कर रहे हैं लेकिन आज तक उनके यहां चार सींग वाला खाडू पैदा नहीं हआ पर अब हुआ है,जिसका पता उन्हें दो सप्ताह पहले ही लगा है…उनका यह भी कहना है कि अगर यात्रा समिति चाहे तो वो देवी यात्रा के लिए चौसिंग्या खाडू को नि:शुल्क प्रदान करेंगे,उधर अब आसपास के लोग बड़ी संख्या में इस चौसिंग्या खाडू को देखने भी आ रहे हैं…हालांकि नंदा देवी राजजात समिति के अध्यक्ष डॉ.राकेश कुंवर का कहना है कि देवी यात्रा में चौसिंग्या खाडू का ही नहीं बल्कि हर सामग्री का चयन परंपरा और शास्त्र सम्मत होने पर किया जाता है और अभी देवी यात्रा के लिए केवल एक अनुष्ठान मौडवी ही हो पाया है…


(इन्हीं पार्वती मार्गो से होकर जाती है धार्मिक मां नंदा देवी की राजजात यात्रा)

आगामी बसंत पंचमी पर यात्रा का कार्यक्रम जारी होने और मनौती होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है,उन्होंने यह भी बताया कि चार सींग वाले चौसिंग्या खाडू का जन्म यदा-कदा होता रहता है पर इसमें वही चौसिंग्या खाडू लिया जाएगा,जिसे देवी चयनित करेगी और जो परंपरा और शास्त्र सम्मत होगा… उधर कोटी गांव में चौसिंग्या खाडू मिलने पर ग्रामीणों में खुशी की लहर है…गांव में स्थित मां नंदा देवी मंदिर के पुजारी पंडित मंसा प्रसाद,गांव के सरपंच मान सिंह,गढ़वाल राइफल के भूतपूर्व सैनिक मोहन सिंह रावत,जयवीर सिंह रावत,भरत सिंह रावत,अशोक रावत,नरेश रावत,विनोद रावत,लक्ष्मी प्रसाद,बच्चन सिंह रावत, प्रदीप सिंह रावत,भूपाल सिंह,सुरेंद्र सिंह,गोविंद सिंह,महावीर सिंह,महेंद्र सिंह,कुलदीप सिंह,सुभाष पंडित,विनोद कुमार,जगदीश सिंह रावत,सौरभ रावत लक्ष्मण सिंह रावत,विक्रम सिंह कठैत, भागवत नैनवाल,दीपक नैनवाल और बीएसएफ से सेवानिवृत्ति पंडित सदानंद जी ने गांव में जन्मे चौसिंग्या खाडू को लेकर खुशी जाहिर की है।